NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 उत्साह, प्रश्न 1-4
प्रश्न को समझना 🧐
पाठ ‘उत्साह’ के निम्नलिखित प्रश्नों का विस्तृत उत्तर दीजिए:
- कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
- कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
- कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
- ‘उत्साह’ कविता में नाद-सौंदर्य वाले शब्द छाँटकर लिखिए।
हमारे विशेषज्ञ का दृष्टिकोण
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, हमारे विशेषज्ञ पहले कविता के केंद्रीय भाव, यानी ‘क्रांति’ और ‘आह्वान’ को पहचानते हैं। इसके बाद, वे प्रत्येक प्रश्न को इस केंद्रीय भाव से जोड़कर विश्लेषण करते हैं। प्रतीकों (जैसे बादल, गरजना) के गहरे अर्थ को समझाना और साहित्यिक सौंदर्य (जैसे नाद-सौंदर्य) के उदाहरणों को सटीक रूप से पहचानना हमारी प्राथमिकता है। यह व्यवस्थित विधि इसकी स्पष्टता और सटीकता के लिए चुनी गई है, जो विषय वस्तु की गहरी विशेषज्ञता को दर्शाती है।
भाग 1: बादल से ‘गरजने’ का आह्वान क्यों? 📝
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहते हैं क्योंकि वे बादल को केवल जल बरसाने वाला एक प्राकृतिक उपादान नहीं, बल्कि क्रांति और विद्रोह का एक शक्तिशाली प्रतीक मानते हैं।
- क्रांति का स्वर: ‘गरजना’ शब्द शक्ति, विद्रोह और परिवर्तन का सूचक है। कवि समाज में व्याप्त अन्याय, शोषण और निष्क्रियता से निराश हैं और एक radical (अमूलचूल) परिवर्तन चाहते हैं। यह परिवर्तन कोमल फुहारों से नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली गर्जना से ही संभव है।
- चेतना का संचार: बादलों की गर्जना सोए हुए और उदासीन लोगों में चेतना, जोश और उत्साह भरने का काम करती है। यह उन्हें सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती है।
- कवि का उद्देश्य: (व्याख्या) कवि का उद्देश्य केवल प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करना नहीं है, बल्कि लोगों को क्रांति के लिए तैयार करना है। इसलिए वे कोमल शब्दों (रिमझिम, फुहार) के स्थान पर एक कठोर और ऊर्जावान शब्द ‘गरजो’ का प्रयोग करते हैं।
आम गलती: छात्र अक्सर बादल को केवल वर्षा का प्रतीक समझ लेते हैं, जबकि यहाँ इसका प्रतीकात्मक अर्थ (क्रांति) अधिक महत्वपूर्ण है।
भाग 2: ‘उत्साह’ शीर्षक की सार्थकता 📝
इस कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ पूरी तरह से सार्थक और उपयुक्त है। इसके निम्नलिखित कारण हैं:
- आह्वान गीत: यह कविता एक आह्वान गीत है, जिसमें कवि बादलों का आह्वान कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की बात करते हैं। किसी भी परिवर्तन या क्रांति के लिए उत्साह और जोश पहली शर्त है।
- कविता का मूल भाव: पूरी कविता की भावना और ऊर्जा उत्साहपूर्ण है। ‘गरजो’, ‘घेर घेर घोर गगन’, ‘वज्र छिपा’ जैसे शब्द उत्साह, शक्ति और ऊर्जा का संचार करते हैं।
- नवनिर्माण की प्रेरणा: कविता केवल विध्वंस की बात नहीं करती, बल्कि नवनिर्माण (‘नूतन कविता फिर भर दो’) की भी प्रेरणा देती है। नवनिर्माण का कार्य भी बिना उत्साह के संभव नहीं है।
भाग 3: बादल के विभिन्न सांकेतिक अर्थ 📝
कविता में बादल को कई अर्थों और रूपों में प्रस्तुत किया गया है, जो निम्नलिखित हैं:
- पीड़ा हरने वाला: बादल तपती धरती को अपनी वर्षा से शीतल कर पीड़ित और प्यासे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाले के रूप में चित्रित है। (उदाहरण: ‘विकल विकल, उन्मन थे उन्मन, विश्व के निदाघ के सकल जन’)
- क्रांतिकारी नायक: बादल को एक ऐसे क्रांतिकारी नायक के रूप में दिखाया गया है जो अपनी गर्जना से समाज में चेतना लाता है और अपनी ‘वज्र’ जैसी विनाशकारी शक्ति से पुरानी और शोषक व्यवस्था को नष्ट करता है।
- रचनाकार या कवि: कवि बादल में स्वयं का प्रतिबिंब देखता है। जिस तरह बादल नई सृष्टि (वर्षा और हरियाली) करता है, उसी तरह एक कवि भी अपनी ‘नूतन कविता’ से समाज में नए विचारों और नई कल्पना को जन्म देता है।
भाग 4: कविता में नाद-सौंदर्य 📝
नाद-सौंदर्य का अर्थ है शब्दों की ध्वनि से एक श्रव्य बिंब (auditory image) बनाना। ‘उत्साह’ कविता में नाद-सौंदर्य के कई सुंदर उदाहरण हैं:
"घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!"– यहाँ ‘घ’ और ‘र’ वर्ण की आवृत्ति से बादलों के उमड़ने और गरजने की भारी ध्वनि का प्रभाव उत्पन्न होता है।"ललित ललित, काले घुँघराले"– यहाँ ‘ल’ जैसे कोमल वर्णों की आवृत्ति बादलों के सुंदर और मोहक रूप का ध्वनि-चित्र प्रस्तुत करती है।"विकल विकल, उन्मन थे उन्मन"– शब्दों की पुनरुक्ति से लोगों की बेचैनी और व्याकुलता का भाव ध्वनित होता है।
निष्कर्ष और मुख्य बातें ✅
अंततः, ‘उत्साह’ कविता केवल बादलों का वर्णन नहीं है, बल्कि यह सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के क्रांतिकारी विचारों का प्रतिबिंब है। इसमें बादल एक बहु-आयामी प्रतीक है जो पीड़ा हरने, क्रांति लाने और नवनिर्माण करने की क्षमता रखता है। कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसके मूल भाव को सटीकता से पकड़ता है, और नाद-सौंदर्य का प्रयोग इसके प्रभाव को और भी गहरा बना देता है।
याद रखने योग्य बिंदु
- कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।
- कविता का प्रकार: आह्वान गीत।
- बादल का प्रतीक: क्रांति, नवनिर्माण, और पीड़ित जन की आशा।
- केंद्रीय भाव: उत्साह और परिवर्तन की आवश्यकता।
परीक्षा के लिए ट्रिक
जब भी ‘निराला’ की कविता से प्रश्न आए, तो ‘क्रांति’, ‘विद्रोह’, ‘प्रगतिशील चेतना’ और ‘प्रतीकात्मकता’ जैसे की-वर्ड्स को अपने उत्तर में ज़रूर शामिल करें। यह उनके काव्य की मुख्य विशेषता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
‘उत्साह’ कविता के कवि कौन हैं?
‘उत्साह’ कविता के कवि महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी हैं। वे छायावाद के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं।
‘उत्साह’ किस प्रकार का गीत है?
‘उत्साह’ एक आह्वान गीत है। इसमें कवि बादलों का आह्वान करता है कि वे आकर समाज में परिवर्तन लाएँ और लोगों में नया जोश भरें।
कविता में ‘तप्त धरा’ का क्या अर्थ है?
कविता में ‘तप्त धरा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘गर्म धरती’। लेकिन इसका प्रतीकात्मक अर्थ है ‘सांसारिक दुखों और कष्टों से पीड़ित दुनिया’।
‘वज्र छिपा’ से कवि का क्या आशय है?
‘वज्र छिपा’ से कवि का आशय है कि बादलों की कोमलता के भीतर बिजली या वज्र जैसी अपार विनाशकारी शक्ति भी छिपी हुई है। यह शक्ति क्रांति और विद्रोह का प्रतीक है, जो पुरानी और शोषक व्यवस्था को नष्ट कर सकती है।
अतिरिक्त अध्ययन
इस पाठ को और गहराई से समझने के लिए, आप एनसीईआरटी की आधिकारिक वेबसाइट पर पाठ्यपुस्तक देख सकते हैं: NCERT Official Website।
